भारत में कुपोषण एक बड़ा समस्या रही है। इसे सफलता बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर बुरा असर डालता है। इस परिस्थिति के उपाय हेतु भारत सरकार ने पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) की योजना सृजित की थी। इसका प्राथमिक मकसद देश में पोषण स्तर को सुधारना, कुपोषण की समस्या को समाप्त करना और जन जागरूकता बढ़ाना है। इससे हम उम्मीद कर सकते हैं कि आगे चलकर इस समस्या का अंत किया जाएगा, जो और बेहतर है POSHAN 2.0। इस योजना का पिछले वर्ष का परिणाम सकारात्मक आएगा।
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पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) का उद्देश्य
पोषण अभियान का कठिनार्थ शब्द POSHAN है। इसका उद्घाटन अक्टूबर 2020 में पोषण पंचायत POSHAN Abhiyaan के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी प्राथमिक समस्या का समाधान दिसंबर 2018 में किया गया। माताओं की आयु 12 वर्ष से 15 वर्ष के मध्य होती है। इसके ढांचे में उर्वरता की तैयारी की समान स्थिति मेट्रिना के तहत पहली 2016 में की गई। सोचते रहें कि Ramach Vistar एक्सपेडिशन ग्लोबल स्रोत से Abhiyaan याही बाद से हर सकम कॉस्मोटॉमिक क्रिश्चियन यहां एरोबिक प्रशंसा कर दिया गया है।
POSHAN 2.0 का परिचय
POSHAN 2.0 को 2021 में भारतीय पोषण संवेधन के रूप में ‘फास्ट ट्रैक’ योजना के पोषण कार्यक्रम के तहत लांच किया गया। यह पहले के पोषण अभियान से नए और अधिक प्रभावी उपायों के साथ एक बेहतर संस्करण है। इस एप्लिकेशन का लक्ष्य पोषण के और अधिक स्तर में सुधार करना, कुपोषण के शिकार लोगों के लिए टार्गेटेड लक्ष्य आधारित समझौते एवं पॉड क्षेत्र में दी जाने वाली योजनाएं योजनाबद्ध करना है।
पोषण (POSHAN) 2.0 की विशेषताएँ
- प्रविधि एकीकरण
पोषण 2.0 में प्रौद्योगिकी का एक बड़ा विस्तार किया गया है। इस चरण में, हमने “आंगनवाड़ी डेटा ऐप” जैसे डिजिटल पहलों को लागू किया है, जो पोषण से संबंधित प्रभाव और आंकड़ों को ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ऐप सरकार को निगरानी और डेटा संग्रह में मदद करता है।
- समग्र पोषण दृष्टिकोण
POSHAN 2.0 के अंतर्गत न केवल कुपोषण का ध्यान रखा जाता है बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु और अन्य क्षेत्रों पर भी अधिक काम किया जाता है। यह एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है – जो पोषण के प्रभाव को गहराई और व्यापकता से समझता है और इन सभी कारकों को एक साथ मिलाता है।
- प्राथमिक क्षेत्रों पर ध्यान
पोषण 2.0 में अधिक ध्यान उन क्षेत्रों पर केंद्रित किया गया है जहां कुपोषण के उच्च स्तर हैं। यह मिशन अच्छे पोषण के पांच प्रमुख प्रथाओं को बढ़ावा देता है: स्तनपान, उचित आहार, स्वच्छता, आहार विविधता, और उचित स्वास्थ्य देखभाल।
POSHAN 2.0 की उपलब्धियाँ
- कुपोषण में कमी
POSHAN 2.0 की मदद से कई राज्यों ने कुपोषण के स्तर में सुधार की सूचना दी है। बच्चों के पोषण स्तर और शारीरिक एवं मानसिक विकास में सुधार हुआ है। सरकार की पोषण संबंधित योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन किया गया है, जिससे कुपोषण दर में सुधार हुआ है।
- शिक्षा और जागरूकता में वृद्धि
यह पहल महिलाओं और बच्चों के बीच पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक रही है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से, समुदायों में पोषण के प्रति अच्छे व्यावहारिक कदम और सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा दिया गया है।
- पोषण निगरानी प्रणाली का विकास
POSHAN 2.0 के अंतर्गत पोषण निगरानी के लिए नए डेटाबेस मानक स्थापित किए गए हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों के उपयोग को बढ़ावा मिला है।
- आहार विविधता में वृद्धि
पोषण 2.0 ने विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में आहार के विविधीकरण को बढ़ावा दिया है। इसमें पोषण योजना के तहत स्थानीय और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग शामिल किया गया।
POSHAN Abhiyaan और POSHAN 2.0 का पोषण अभियान भारत में कुपोषण के खिलाफ एक ठोस पहल है। सरकार की इन योजनाओं और परियोजनाओं के तहत नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और माताओं को उचित पोषण देने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह अभियान कुपोषण से मुक्ति पाने के प्रयासों के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और समाजिक समृद्धि के अन्य आयामों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसके ठोस उपायों और रणनीतियों के कारण भारत में पोषण स्तर में सुधार हुआ है। इसके प्रभावों के कारण भारत में पोषण के स्तर में सुधार की कोशिशें तीव्र गति से करने लगे हैं।