भारत में नारियल खेती एक कृषि क्षेत्र गतिविधि है जो न केवल किसानों के लिए रोजगार प्रदान करती है, बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देती है। नारियल का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जिसमें खाद्य, तेल, कॉस्मेटिक्स और यहां तक कि निर्माण सामग्री शामिल हैं। नारियल की खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है। हालांकि, नारियल की फसलें कई जोखिमों और आपदाओं का सामना करती हैं। इन जोखिमों के खिलाफ किसानों की मदद करने के लिए, सरकार ने नारियल ताड़ बीमा योजना, सीपीआईएस शुरू की है।
Contents
- 0.1 नारियल ताड़ बीमा योजना (सीपीआईएस) के उद्देश्य
- 0.2 प्रस्तावित योजना के प्रमुख अंश
- 0.3 योजना की विशेषताएँ
- 0.4 Related posts:
- 1 Only a Genius Can Spot the Hidden Owl in This Optical Illusion in Just 5 Seconds!
- 2 Can Your Eyes Handle It? Find the Hidden '44' in This Mind Game
- 3 Optical Illusion Challenge: Can You Spot the Lone 808 in a Sea of SOS?
नारियल ताड़ बीमा योजना (सीपीआईएस) के उद्देश्य
नारियल ताड़ बीमा योजना (सीपीआईएस) प्राकृतिक आपदाओं, कीटों, बीमारियों और अन्य प्रतिकूल स्थितियों के आर्थिक स्थिति पर प्रभाव को कम करने के लिए तैयार की गई है। किसानों को बीमा कवरेज दिया जाता है जो उन्हें आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त करने की अनुमति देता है। यह योजना किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि वे अपने नारियल के पेड़ों को हुए नुकसान को सहन कर सकें।
प्रस्तावित योजना के प्रमुख अंश
- कवरेज : चावल के रकबे का फसल बीमा चावल के पौधे का कवर करता है। इसमें जिन बातों के प्रति छति की संभावना है, उनके चलते नुकसान उठाना शामिल है जैसे: बाढ़, सूखा, चक्रवात, भू-स्खलन और अन्य प्राकृतिज आपदाएँ, कीटों और दूसरें रोगों द्वारा छति, किसान द्वारा अनियोजित रुकावटें जो पौधों या बागों की प्रगति में अवरोध पैदा करती हैं।
- प्रीमियम तथा बीमा मूल्य: इस योजना में सब फॉर्म व्हाइटल गार्निशर्स को प्रीमियम का सात्विक दान करना पड़ता है जैसा की इस योजना में निश्चित किया गया है ये प्रीमियम ऐसे रिलेटेड पॉलिसी फर्म्स हैं जो माइंड फंड्स की सहायता से काम करती हैं और इसे सब्सिडी भी प्राप्त होती है। और हाँ, जब किसी कारणवश नारियल के पेड़ों को नुकसान आता है, तो ऐसे में बीमा कम्पनी नारियल के पेड़ों को इन बीमित मूल्यों के बराबर मुआफ़े का चेक देती है।
- कृषि के वैज्ञानिक तथा विशेषन इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसान आधुनिक सोच वाले कृषि के वैज्ञानिक तथा अध्यापक जिनसे सलाह लेने से किसानों की बाँधविरोधी के माध्यम से शास्त्र या पौधों पर काबू करने, अच्छी खेती के तरीके आजमाने और नारियल की उपज को अधिकतम करने के उपाय बताने में उनकी सहायता करते हैं।
- किसान नारियल के पेड़ों पर आई प्राकृतिक आपदाओं द्वारा किए गए नुकसान के लिए प्रशासनिक सर्वेक्षणों के अनुरूप मुआवज्जा प्राप्त कर सकते हैं। किसी बीमा कंपनी बागबानी सगियों के द्वारा निरीक्षण के आधार पर पेड़ मुआवजा राशि प्रदान किया जाता है। बीमा दरकसो का घाटा निराकरण करने तथा आर्थिक कठिनाइयों से उबरने के लिए सज्जित होते हैं।
योजना की विशेषताएँ
- वित्तीय सुरक्षा: यह नीति किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या अन्य खतरों के नकारात्मक वित्तीय प्रभावों से बचाती है। जब भी किसी प्रकार की अप्रत्याशित परिस्थिति होती है, किसानों को इसके लिए मुआवजा दिया जाता है, जो उन्हें एक स्थिर वित्तीय स्थिति बनाए रखने में मदद करता है।
- बीमा सुरक्षा: नारियल के पेड़ की बीमा योजना किसानों को अपने नारियल के पेड़ों का बीमा कराने के लिए कुछ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना के माध्यम से, किसान अपने पेड़ों का बीमा एक सुरक्षा कवच के साथ करवा सकते हैं।
- कृषि सुधार: इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों की बेहतर देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके अलावा, किसान कृषि विज्ञानियों और अन्य विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करके अपनी कृषि में सुधार कर सकते हैं।
- सरकारी सहायता: यह योजना सरकार द्वारा संचालित होती है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त सहायता के रूप में कार्य करती है। सरकार द्वारा बीमा प्रीमियम पर सब्सिडी मिलने के कारण, किसानों को वित्तीय बोझ उतना नहीं उठाना पड़ता।
“CPIS” योजना सक्षम होती है कि भारत के नारियल उत्पादक चारों प्राकृतिक आपदाओं, कीटनाशक दवाओं और अन्य सभी निरंतर गतिविधियों से होने वाले नुकसान को कम कर पाएं। यह पूर्वानुमानात्मक और नैदानिक नारियल तकनीक के कठिनाईयों को दूर करने में सहायक होती है। इस योजना के माध्यम से राष्ट्र की नारियल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। शेष देश की संस्थाओं को चाहिए कि उसके लिए प्रयत्नशील होकर कम से कम शुरुआती स्तर पर किसानों को एक संबंधित भविष्य उपलब्ध करा पाएं।