आंध्र प्रदेश सरकार ने पारंपरिक हथकरघा उद्योग को संजीवनी देने के लिए एक प्रभावशाली कदम उठाया है। अब राज्य के हथकरघा बुनकरों को हैंक यार्न, डाई और रसायनों की खरीद पर 40% तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। यह योजना हजारों बुनकरों के लिए न केवल आर्थिक सहारा है, बल्कि उनकी कला और आजीविका को भी मजबूती देने वाली है।
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योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य मकसद है बुनकरों को कम लागत में कच्चा माल उपलब्ध कराना, जिससे उनकी उत्पादन लागत घटे और उनके उत्पाद बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनें। यह योजना NHDC (नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) और APCO (आंध्र प्रदेश स्टेट हैंडलूम वीवर्स कोऑपरेटिव) के सहयोग से संचालित की जा रही है।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
- 40% सब्सिडी: यार्न, डाई और केमिकल्स की खरीद पर बुनकरों को 40% वित्तीय सहायता दी जा रही है।
- पात्रता: राज्य की प्राथमिक हथकरघा सहकारी समितियों के सदस्य इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
- डायरेक्ट बेनिफिट: सब्सिडी की राशि सीधे बुनकरों के बैंक खाते में भेजी जाती है।
- सरल आवेदन प्रक्रिया: सहकारी समिति के माध्यम से आसानी से आवेदन किया जा सकता है।
- राज्यव्यापी कार्यान्वयन: यह योजना आंध्र प्रदेश के सभी जिलों में लागू है।
कैसे करें आवेदन?
- आवेदन प्राप्त करें: अपने नजदीकी हथकरघा सहकारी समिति से आवेदन पत्र लें।
- दस्तावेज़ जोड़ें: आधार कार्ड, बैंक पासबुक की कॉपी, बुनकर पहचान पत्र, समिति सदस्यता प्रमाणपत्र।
- सत्यापन: समिति आवेदन और दस्तावेजों की जांच करेगी।
- फॉरवर्डिंग: सत्यापित आवेदन NHDC को भेजे जाएंगे।
- अनुदान वितरण: स्वीकृत राशि सीधे आपके खाते में जमा कर दी जाएगी।
योजना से क्या होंगे लाभ?
- कम उत्पादन लागत: कच्चे माल पर सब्सिडी मिलने से लागत घटेगी।
- आय में बढ़ोतरी: कम लागत में बना उत्पाद बेहतर दाम पर बिक सकेगा।
- कला का संरक्षण: पारंपरिक बुनाई को बढ़ावा मिलेगा।
- स्थानीय रोजगार में इजाफा: हथकरघा उद्योग की मजबूती से रोजगार के नए अवसर बनेंगे।
योजना की खास बातें
- लाभार्थी कौन हैं?
आंध्र प्रदेश की प्राथमिक हथकरघा सहकारी समितियों से जुड़े सदस्य बुनकर इस योजना के लिए पात्र हैं। - क्या मिलेगा लाभ?
NHDC और APCO से यार्न, डाई और रसायन खरीदने पर बुनकरों को 40% सब्सिडी का सीधा फायदा मिलता है। - कब से लागू है?
यह योजना 29 अप्रैल 2011 से प्रभावी है और बुनकर तब से इसका लाभ ले रहे हैं। - भुगतान प्रक्रिया कैसे होती है?
अनुदान राशि सीधे संबंधित बुनकरों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।
यह योजना क्यों है खास?
देश के पारंपरिक बुनकरों को आधुनिक तकनीक और मशीनों से कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में यह योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपनी विरासत को जीवित रखने का अवसर देती है। यह पहल ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत की सोच को आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा रही है।
आंध्र प्रदेश सरकार की 40% सब्सिडी योजना हथकरघा क्षेत्र में नई ऊर्जा भर रही है। यह योजना बुनकरों के लिए आर्थिक संबल के साथ-साथ सांस्कृतिक संरक्षण का भी माध्यम है। यदि आप खुद बुनकर हैं या किसी ऐसे को जानते हैं, तो इस योजना की जानकारी अवश्य साझा करें।