प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों की सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम

अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए भारत कृषि प्रधान देश है और इसका बहुत सारा हिस्सा कृषि पर आधारित है। इसी तरह भारतीय किसान कई मौसमों और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव में रहते हैं, जिसके कारण इनकी कृषि चक्र नुकसान उठा सकती है। किसानों को होने वाले फसल नुकसान को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शुरू की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की फसल बीमा का दावा ठोकने से बचाना है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और अन्य जोखिमों का असर कम किया जा सके। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्ष 2025 में और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान स्वास्थ्य और सुरक्षा लाभ उठा सकें।

प्रधानमंत्री फसल बीमा कृषि बीमा योजना का उद्देश्य:

  • किसानों की आर्थिक सुरक्षा: केंद्र सरकार इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं द्वारा बाढ़, सूखा, तूफान इत्यादि के कारण फसल नुकसान होने पर किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना चाहती है।
  • आर्थिक सुलभता: इस योजना के अंतर्गत सुलभता से बीमा कवरेज की सीमा बढ़ा दी गयी है, ताकि किसान बिना किसी चिंता के कृषि कार्य कर सकें।
  • अत्यधिक सस्ते बीमा प्रीमियम: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा प्रीमियम को बहुत ही सस्ता रखा गया है, ताकि छोटे और मझोले किसान भी इसका लाभ उठा सकें।
  • किसान की मदद: फसल हानि पर जब प्राकृतिक या अन्य कारणों से नुकसान हेतू बीमा दिया क्रमशः वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि पुनः किसान अपने कृषि कार्य आरंभ कर सकें।
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पीएम फसल बीमा योजना की विशेषताएँ:

  • किसान की फसल का बीमा: इस योजना के अंतर्गत किसानों द्वारा फसलें उगाने पर बीमा किया जाता है। इसमें फसलें जैसे- रबी, खरीफ और यहां तक कि हाइड्रोपोनिक्स भी शामिल है।
  • प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: इस योजना का सबसे बड़ा आगे लाभ यह है कि इसके जरिये किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से-बाढ़, सूखा, बारिश, ओलावृष्टि, तूफान वगैरह से आने वाली फसल हानियों से सुरक्षा कवरेज मिलती है।
  • बीमा प्रीमियम: इस योजना के अंतर्गत, कृषक की तरफ से, फसलों का बीमा कराने के लिए प्रीमियम बहुत कम अदा किया जाता है। प्रीमियम की भरपाई केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान के योगदान से होती हैं। उदाहरण के तौर पर 2% प्रीमियम खरीफ फसलों के लिए, 1.5% रबी फसलों के लिए तथा तिलहन फसलों के लिए 5% प्रीमियम लिया जाता है।
  • फसल नुकसान का आकलन: जब कृषक को फसल के नुकसान का सामना करना पड़ता है, तो सरकारी संस्थाएँ फसल नुकसान का आकलन करती हैं। उसके बाद बीमा राशि मिलने से पहले, फसल नुकसान का अनुमानित मूल्य के खामोश राशि का भुगतान करना होता है।
  • ई-प्रॉसेसिंग: पेंशन राशि के भुगतान के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती। सभी प्रकार के दस्तावेजों की बिना जरूरत के आवेदन स्वीकृत कर दी जाती है, बीमा उपलब्धता राशि परिवर्धन। इंटरनेट के माध्यम से भुगतान भी किया जा सकता है।
  • स्वचालित पंजीकरण: इस योजना के अंतर्गत किसानों को खुद से किसी और गतिविधि करने की आवश्यकता नहीं है। बैंक कनेक्टेड आधार कार्ड व अकाउंट डिटेल द्वारा इनके फसल बीमा प्राथमिकता से कर दी जाती है।
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बीमा योजना की फसल बीमा कमिशन द्वारा प्रशासन योजना 2025 में संसोधन।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दाएरे को सृजनात्मक रखना समूह की मुख्य नीति रही है। इसलिए, विभिन्न प्रशासनिक उपकरणों का उपयोग किया गया है ताकि उन परियोजना मालिकों को समर्थन मिल सके जो अपनी फसलें उगाते हैं बिना किसी जिम्मेदारी के।

  • अधिक फसले एवं विभिन्न श्रिणियों का बीमा: पहले से अधिक फसलें और उनके विभिन्न चरणों को बीमा कवरेज में शामिल किया गया है।
  • ब्लॉकस्तरों में कलह सुलझाने का तंत्र: प्रतिवेदन पर दूरगामी द्वार तंत्र ज्ञापन अनपुस्तक लिए देखेंगे सुलभ और आवश्यक पर काम दोगुने ठोकने सहे बड़े। समस्या विस्थापन समाधान व्यवस्था तैयार कर दी गई है।
  • विधि व्यवस्था में बदलाव: अब फसल हानि संवादंत्र के अलग सलाहसमय बदलकर और आधुनिक तकनीक निदान कर दिया गया है जैसे क्लाउड, उपग्रह वीडियो, ड्रोन, स्मार्टफोन ऐप इत्यादि।
  • प्रशासनिक: स्तर पर बदलाव इसलिये किए गए हैं ताकि उपायों को लागू करने में निरंतरता बनी रहे। अस्थायी प्रक्रियाएँ इसलिये बनाई गई हैं कि पारियों और भुगतान किए जाने वाले धन की राशि को आसानी से प्रबंधित किया जा सके।

किसान के लिए लाभ:

किसान के लिए यह योजना पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित हुई है। उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के कारण मिलने वाले फायदों का बीमा के अनुसार पैसा मिलेगा। इसके अलावा, फसल नष्ट या कम होने पर भुगतान भी सहायक होता है।

  • किसान अपने कार्य में आत्मनिर्भरता: एक प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, उन्हें सविल सेवा बीमा से कुछ न कुछ पैसे अवश्य मिलते हैं। दूसरे, अगर फसल सफल रह गई तो बीमा मं कैसे पैसे देता है।
  • आर्थिक सहायता: इस व्यवस्था द्वारा दी गई ढाँचा वर्गीकृत है, जिसमे किसानों को बीमा राशि से सहायता मिलती है। ऐसे सथान भी है, जहाँ व्यापारी केवल खुद की सुविधा के अनुशार ही कुछ खरीद लेता है।
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फसल बीमा योजना के अंतर्गत पहला उद्देश्य कृषक की सम्पत्ति की सुरक्षा करना ही होता हैं तथा उसके बाद समस्या मौसमी परिवर्तन, उत्पादन में गिरावट, ग्राहक या सप्लायर सप्लाई चेन आदि। इस योजना के तहत, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं एवं फसल हानि के दौरान, जब सहारा होता है, तो उनकी फसल नुकसान मूल्य पर आधार तरीकें से प्रदान करता है।

 

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